The shiv chalisa in hindi Diaries

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कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

माथे पे चन्द्र सोहे अंगो पे विभूति लगाये

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

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